गोपालशरण सिंह की संपूर्ण रचनाएँ
कविता 10
गीत 28
उद्धरण 3

कविता की सप्राणता भावना में ही है। परंतु भावना के लिए बुद्धि का नियंत्रण आवश्यक है। अनियंत्रित भावना की परिणति सस्ती भावुकता होती है।
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