दुरगा के दोहे
नैनन में बिस बहुत है, ना मारौ दिलजान।
गुरन-गुरन बिंध जायगौ, कैसें निकरैं प्रान॥
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere