बनारसीदास चतुर्वेदी के रेखाचित्र
पतिव्रता जयिनी मार्क्स
“बहन, यह ख़याल मत करना कि इन छोटे-छोटे कष्टों के कारण मैं हिम्मत हार बैठी हूँ। मुझे यह अच्छी तरह मालूम है कि मैं अकेली ही तकलीफ़ में नहीं हूँ। दुनिया में लाखों आदमी मुझसे कहीं अधिक कष्ट पा रहे हैं; बल्कि मैं तो यह कहूँगी कि इन तमाम दुःखों के होते हुए