बलराज साहनी का सिनेमा सिनेमा लेखन
पृथ्वीराज और नाट्यकला
पृथ्वीराज सन् 1926 के लगभग अभिनय की भूख मिटाने के लिए अपने प्यारे शहर पेशावर को छोड़कर बंबई आए थे। यह वह ज़माना था जब पंजाब का मध्यम वर्ग अपनी भाषा, अपने रहन-सहन और साहित्य के प्रति विरक्त था। उस समय आज की तरह पंजाबी भाषा में अच्छे नाटक और उपन्यास नहीं