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बाल अली

मधुर उपासना से संबंधित रीतिकालीन भक्त कवि।

मधुर उपासना से संबंधित रीतिकालीन भक्त कवि।

बाल अली की संपूर्ण रचनाएँ

दोहा 50

दंपति प्रेम पयोधि में, जो दृग देत सुभाय।

सुधि बुधि सब बिसरत तहाँ, रहे सु विस्मै पाय॥

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हिलि मिलि झूलत डोल दोउ, अलि हिय हरने लाल।

लसी युगल गल एक ही, सुसम कुसुम मय माल॥

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नेह सरोवर कुँवर दोउ, रहे फूलि नव कंज।

अनुरागी अलि अलिन के, लपटे लोचन मंजु॥

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नील पीत छबि सो परे, पहिरे बसन सुरंग।

जनु दंपति यह रूप ह्वै, परसत प्यारे अंग॥

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यद्यपि दंपति परसपर, सदा प्रेम रस लीन।

रहे अपन पौ हारि कै, पै पिय अधिक अधीन॥

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पद 15

सोरठा 3

 

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