मेरी जीवन-कथा के कुछ पृष्ठ
शहीद लेखाराम
सन् 1865 में मुझे मिडिल की परीक्षा देनी थी। आर्य समाज में उस समय तक दो दल मांस-पार्टी और बास-पार्टी के बन चुके थे। मैं भी इसी वर्ष मांस-पार्टी का एक उत्साही सदस्य बन गया। दो-तीन वर्षों तक इसी दल में रहा। मांस-पार्टी में शामिल भी मैं एक