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लाड़िले श्री वल्लभ राजकुमार

laDile shri wallabh rajakumar

छीतस्वामी

छीतस्वामी

लाड़िले श्री वल्लभ राजकुमार

छीतस्वामी

और अधिकछीतस्वामी

    लाड़िले श्री वल्लभ राजकुमार।

    बलि बलि जाऊं मुखारबिंद की, सुंदर अति सुकुमार॥

    भगवत रस मधि लोचन छाके, करुनासिंधु अपार।

    कहि सुबोधिनी निज जन पोषत, अमृत बचन उदगार॥

    निज स्वामिनी भाव निधि झलकत, निसिदिन करत बिहार।

    सदा करत हैं श्री गिरराज की, सेवा पुष्टि प्रकार॥

    इनके चरन सरन जे आए, मिटे सकल झंजार।

    छीतस्वामी गिरिधरन श्री विट्ठल, सकल वेद कौ सार॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : अष्टछाप कवि और उनकी रचनाएं : छीतस्वामी (पृष्ठ 60)
    • संपादक : वसंत यामदग्नि
    • रचनाकार : छीतस्वामी
    • प्रकाशन : प्रकाशन विभाग, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार
    • संस्करण : 2003

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