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हांकै हटक-हटक, गाय ठठक-ठठक रहीं

hankai hatak hatak, gay thathak thathak rahin

नंददास

नंददास

हांकै हटक-हटक, गाय ठठक-ठठक रहीं

नंददास

और अधिकनंददास

    हांकै हटक-हटक, गाय ठठक-ठठक रहीं,

    गोकुल की गली सब सांकरी।

    जारी-अटारी, झरोखन, मोखन झांकत,

    दुरि-दुरि ठौर-ठौर तैं परत कांकरी॥

    चंप-कली, कुंद-कली, बरसत रस-भरी,

    तामें पुनि देखियतु लिखे हैं आंकरी।

    नंददास प्रभु जहीं-जहीं ठाडे होत तहीं-तहीं,

    लटक-लटक काहू सों हां करी ना करी॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : अष्टछाप कवि : नंददास (पृष्ठ 96)
    • संपादक : सरला चौधरी
    • रचनाकार : नंददास
    • प्रकाशन : प्रकाशन विभाग सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार
    • संस्करण : 2006

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