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एकदंत गजबदन बिनायक

ekdant gajabdan binayak

तानसेन

तानसेन

एकदंत गजबदन बिनायक

तानसेन

और अधिकतानसेन

    एकदंत गजबदन बिनायक, विघन-विनासन हैं सुखदाई।

    लंबोदर गजानन जगबंदन शिव-सुत, ढुंढीराज सब बरदाई॥

    गौरी-सुत, गनेश, मूसकबाहन, फरसाधर,

    संकर-सुवन रिद्ध-सिद्ध नवनिधि पाई।

    ‘तानसेन’ तेरी अस्तुति करत, काटौ कलेस,

    प्रथम बंदन करत द्वंद्व मिटि जाई॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : संगीत-सम्राट तानसेन (पृष्ठ 53)
    • संपादक : प्रभुदयाल मीतल
    • रचनाकार : तानसेन
    • प्रकाशन : साहित्य संस्थान
    • संस्करण : 1960

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