Font by Mehr Nastaliq Web

सुन-सुन सुंदर कन्हाई

sun sun sundar kanhai

विद्यापति

विद्यापति

सुन-सुन सुंदर कन्हाई

विद्यापति

और अधिकविद्यापति

    सुन-सुन सुंदर कन्हाई। तोहि सोंपलि धनि राई॥

    कमलिनि कोमल कलेबर। तुहु से भूखल मधुकर॥

    सहज करह मधु पान। भूलह जनि पँचबान॥

    परबोधि पयोधर परसह। मधुकर जइसे सरोरुह॥

    गनइत मोतिम हारा। छलें परसब कुच भारा॥

    बुझए रति-रस-रंग। खन अनुमति खन भंग॥

    सरिस-कुसुम सम तनु। थोरि सहब फुल-धनु॥

    विद्यापति कवि गाब। दूतिक मिनति तुअ पाब॥

    सुनो, सलोने कन्हाई! मैंने तुम्हें अपनी सहेली सौंप दी है। राधा की देह मुलायम कमल है, तुम प्यास से तड़पते हुए भ्रमर हो। हौले-हौले मधुपान करना। देखना, कामदेव कहीं तुम्हारा होश ग़ायब कर दे! कहीं उस बेचारी पर तुम टूट पड़ो। समझा-बुझाकर, बातचीत में भुलाकर उसके कुचों पर हाथ फेरना। भ्रमर पचास फेरे लगाता है, देर तक गुनगुनाता है, तब कहीं जाकर कमलिनी राज़ी होती है और वह उसे छू पाता है। कुचों में यों ही हाथ नहीं लगाना। हार के मोतियों के गिनने के बहाने चाहे स्तनों को भले छू लो, यों मत छूना! उसे अभी काम-केलि का पता नहीं है। वह कब ‘हाँ करेगी, कब ‘ना' करेगी, यह समझना आसान नहीं होगा। उसकी देह शिरीष के फूल की तरह कोमल है, कामदेव का तीर वह कैसे झेलेगी? विद्यापति कवि ने गाया—“दूती की विनती-भरी बातें तुम तक पहुँचा दी गई हैं।”

    स्रोत :
    • पुस्तक : विद्यापति के गीत (पृष्ठ 50)
    • रचनाकार : विद्यापति
    • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
    • संस्करण : 2011

    यह पाठ नीचे दिए गये संग्रह में भी शामिल है

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए