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जेवंत रंग महल गिरधारी

jewant rang mahl girdhari

परमानंद दास

परमानंद दास

जेवंत रंग महल गिरधारी

परमानंद दास

और अधिकपरमानंद दास

    जेवंत रंग महल गिरधारी।

    सखिन जुगल कनक चौकी धरि उपरि कंचन थारी॥

    प्रीतनभरी सखी जल जमुना आन धरी जुग झारी।

    मंद मंद मृदु गावत सहचरी सुंदर सब धुनि न्यारी॥

    चहुंदिस द्रुमलता मंदिर पर कूजत सुक पिक सारी।

    ललिता ललित परोसति रुचि सों दोउ जनमन रुचिकारी॥

    कर अचनन प्रभु नवल बिहाने बैठे ही रस भारी।

    रच बीरी कर दे परमानंद हरख जाय बलिहारी॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : अष्टछाप के कवि : परमानंददास (पृष्ठ 43)
    • संपादक : हरगुलाल
    • रचनाकार : परमानंददास
    • प्रकाशन : प्रकाशन विभाग सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार
    • संस्करण : 2008
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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