चिट्ठियों में यूरोप
chithiyon mein europe
नोट
प्रस्तुत पाठ एनसीईआरटी की कक्षा आठवीं के पाठ्यक्रम में शामिल है।
22 मार्च 89
यूगोस्लाविया, नेविसाद
प्रिय नीलू, शेरू, ककू, पुत्रक और तुम सबकी मम्मी
तुम सबको ख़ूब प्यार।
आज यहाँ पहुँचे एक हफ़्ता हो गया। मौसम अच्छा चल रहा है। यहाँ बसंत आ रहा है। सारे पेड़ नंगे खड़े हैं; एक अपनी विद्या जैसा पेड़ है जो हरा है, एक और जो नए साल पर घर-घर लगाया जाता है। फिर भी फूल आ रहे हैं। एक नीले और बैंगनी रंग का फूल है जो अपने यहाँ की सफ़ेद कुमुदनी जैसे होते हैं। कुछ लाल, कुछ पीले। ख़ुशबू नहीं होती। आज इतवार है—सो एक बजे खाना खाकर आए और लिखने बैठ गए। आज हमने जो खाना खाया वह योगर्ट से शुरू हुआ—जैसा आइसक्रीम कप होता है वैसा बड़े कप में। रोज़ सूप होता है। उसमें सफ़ेद सेम जैसी—यहाँ की बीन लंबी और पतली होती है—बरबटी जैसी। फिर आइसक्रीम। यही तीन कोर्स रोज़ सुबह-शाम होते हैं। खाते-खाते उकताहट हो रही है। कभी-कभी चावल होता है—स्ट्यू यानी करी के साथ खाने के लिए। एक दिन खरे सिके चिल्ले जैसी एक मिठाई आई उसमें खट्टी बेरी का गूदा भरा था। सेवइयाँ पानी में उबली-सूप में रहती हैं। और ब्रेड। सुबह ब्रेड बटर, मार्मलेड (जेली) या शहद। 30 ग्राम की छोटी-छोटी प्लास्टिक डिबियों में।
शहर के बीच 'दूना' (Danube) नदी बहती है। यह यूरोप के कई देशों में बहती है। नक़्शे में देखोगे तो मिल जाएगी, 'नेविसाद' (NOVISAD) शहर भी मिल जाएगा। हमने तुम लोगों के लिए इटली के सिक्के, यहाँ के सिक्के, एक सिक्का इंडोनेशिया का—मॉरिशस की कुछ टिकटें इकट्ठे किए हैं। चीज़ें यहाँ बहुत महँगी हैं—लोग कहते हैं मत ख़रीदो! रोज़ बाज़ार से गुज़रते हैं तो तुम लोगों की याद आती है बच्चों को देखकर।
जो नदी है उसमें बड़े-बड़े यात्री जहाज़ चलते हैं। इस देश के भी और हंगरी के भी। कल हमने देखे। यहाँ फ़ुटबॉल बहुत खेलते हैं। 14 से 20 अप्रैल तक यहाँ विश्व टेबल टेनिस चैम्पियनशिप होने वाली है। एकाध रोज़ देखेंगे। बाज़ार में 20-20 मंज़िल, 10-10 मंज़िल की बिल्डिंगें हैं। यहाँ इस शहर मे हज़ारों वर्षों पहले आए भारतीयों की संताने है—यूरोपीय मालूम होते हैं। यहीं की वेशभूषा, भाषा। लड़के स्केटिंग के बहुत शौक़ीन हैं। हमारे कमरे की खिड़की से खेल के मैदान दिखते हैं। इस समय एक मैदान में फ़ुटबॉल मैच हो रहा है। एक टीम की वर्दी सफ़ेद है दूसरे की लाल। मैदान यहाँ से लगभग आधा फर्लांग दूर है पर हमारा कमरा पाँचवीं मंज़िल पर है—इसलिए साफ़ दिखता है। कमरे की खिड़की कमरे के बराबर ऊँची और चौड़ी है। अब हम लोग 22 हो गए हैं—17 देश। माल्टा, मारीशस, मेक्सिको, बोलीविया, नाइजीरिया, माली, अंगोला, बांग्लादेश, अफ़ग़ानिस्तान, इजिप्ट, जॉर्डन, इंडोनेशिया, भारत, चीन, कोरिया, थाइलैंड। नेपाल का एक लड़का दुभाषिया है टंक प्रसाद ढकाल। कल हम लोग शहर से बाहर एक पॉल्ट्री फ़ार्म देखने जाएँगे—यूनिवर्सिटी की बस से।
कल दुपहर हमने शादी पार्टी के बाद घर जा रही एक दुल्हन भी देखी, अपनी खिड़की से। सफ़ेद कपड़े पहने थी, नीचे से ऊपर तक। सर पर सफ़ेद टोपी जैसी दिख रही थी। पचासेक लोग थे। आगे के हाल बाद की चिट्ठी में लिखेंगे। तुम लोग गौतम से एरोग्राम मँगा कर हमको चिट्ठी लिखना। तुम सबको प्यार। अच्छे से रहना ताकि माँ को तकलीफ़ न हो।
तुम्हारा पापा
- पुस्तक : दुर्वा (भाग-3) (पृष्ठ 16)
- रचनाकार : सोमदत्त
- प्रकाशन : एन.सी. ई.आर.टी
- संस्करण : 2008
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