कवित्त
वर्णिक छंद। चार चरण। प्रत्येक चरण में सोलह, पंद्रह के विराम से इकतीस वर्ण। चरणांत में गुरू (ऽ) अनिवार्य। वर्णों की क्रमशः आठ, आठ, आठ और सात की संख्या पर यति (ठहराव) अनिवार्य।
रीतिकाल के सरस-सहृदय आचार्य कवि। कविता की विषयवस्तु भक्ति और रीति। रीतिग्रंथ परंपरा में काव्य-दोषों के वर्णन के लिए समादृत नाम।
दियरा (उत्तर प्रदेश) के ज़मींदार रुद्र प्रताप साही की विवाहिता। कविता के नाम पर सरल भाषा में हृदय के कोमल भाव-मात्र की प्रस्तुति।
भक्त, कथावाचक और मानस-व्याख्याकार के रूप में प्रसिद्ध रीतिकालीन कवि। 'कवित्त रामायण' के रचनाकार।