वर्णिक छंद। चार चरण। प्रत्येक चरण में सोलह, पंद्रह के विराम से इकतीस वर्ण। चरणांत में गुरू (ऽ) अनिवार्य। वर्णों की क्रमशः आठ, आठ, आठ और सात की संख्या पर यति (ठहराव) अनिवार्य।
'दलेलप्रकाश' के रचनाकार। भाषा ललित, मधुर और प्रवाहपूर्ण। विषय-वैविध्य से ज्ञान का प्रदर्शन करते प्रतीत होते हैं। आचार्य रामचंद्र शुक्ल का कहना था कि 'यदि अपने ग्रंथ को इन्होंने भानमती का पिटारा न बनाया होता और एक ढंग पर चले होते तो इनकी बड़े कवियों की सी ख्याति होती।'
You have exhausted your 5 free content pages. Register and enjoy UNLIMITED access to the whole universe of Urdu Poetry, Rare Books, Language Learning, Sufi Mysticism, and more.