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तूही धन तू ही प्रान तोही में हरि को मन

tuhi dhan tu hi pran tohi mein hari ko man

चिंतामणि

चिंतामणि

तूही धन तू ही प्रान तोही में हरि को मन

चिंतामणि

और अधिकचिंतामणि

    तूही धन तू ही प्रान तोही में हरि को मन,

    तेरे ही रिझाइबे की रीति में प्रवीन हैं।

    ‘चिंतामनि’ चिंता नित तेही रहै रात दिन,

    तेरे ही विरह खिन-खिन होत खीन हैं॥

    भूलि हू कीजै ठकुराइनी इतेक हठ,

    छोड़ दीजे तेरे बुझ ठाकुर अधीन हैं।

    तूही पीकै नैन अरविंदन की इंदिरा औ,

    पीके नैन तेरे तनु पानिप के मीन हैं॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : हिंदी काव्य गंगा (पृष्ठ 211)
    • संपादक : सुधाकर पांडेय
    • रचनाकार : चिंतामणि
    • प्रकाशन : नागरीप्रचारिणी सभा
    • संस्करण : 1990
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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