ओढ़े नील सारी घन घटा कारी ‘चिंतामनि’
oDhe neel sari ghan ghata kari ‘chintamani’
चिंतामणि
Chintamani
ओढ़े नील सारी घन घटा कारी ‘चिंतामनि’
oDhe neel sari ghan ghata kari ‘chintamani’
Chintamani
चिंतामणि
और अधिकचिंतामणि
ओढ़े नील सारी घन घटा कारी ‘चिंतामनि’
कंचुकि किनारी चारु चपला सुहाई है।
इंद्रबधू जुगुनू जवाहिर की जगी जोति
बग मुकतान माल कैसी छबि छाई है॥
लाल पीत सेत बर बादर बसन तन
बोलत सु भृंगी धुनि नूपुर बजाई है।
देखिबे को मोहन नवल नटनागर को
बरषा नवेली अलबेली बनि आई है॥
- पुस्तक : हिंदी काव्य गंगा (पृष्ठ 212)
- संपादक : सुधाकर पांडेय
- रचनाकार : चिंतामणि
- प्रकाशन : नागरीप्रचारिणी सभा
- संस्करण : 1990
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