मार्यौ है अघासुरै, बिदार्यौ कलि-कंस केसी
maryau hai aghasurai, bidaryau kali kans kesi
छत्रसाल
Chhatrasal
मार्यौ है अघासुरै, बिदार्यौ कलि-कंस केसी
maryau hai aghasurai, bidaryau kali kans kesi
Chhatrasal
छत्रसाल
और अधिकछत्रसाल
मार्यौ है अघासुरै, बिदार्यौ कलि-कंस केसी,
इन्द्र-मद गार्यौ गिरि-राज नख धारो है।
कहै छत्रसाल, अष्ट-दसहू पुराननि में,
चारि बेद-गाननि में बिरद उचारो है॥
दीनजन-पाल, घाल, नन्दलाल, लाल! मेरे
कटिहैं कलेस बड़ी सरन तुम्हारो है।
अग-जग हार्यौ, कहि काहू नाहिं पायौ पार,
सोई मो अधार जानैं गज निनवारो है॥
- पुस्तक : छत्रसाल-ग्रंथावली (पृष्ठ 7)
- संपादक : वियोगी हरि
- रचनाकार : छत्रसाल
- प्रकाशन : श्रीछत्रसाल-स्मारक-समिति, पन्ना, मध्य प्रदेश
- संस्करण : 1926
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