सबै गिरिबेली दीपसेली सी नबेली चंद
sabai giribeli dipseli si nabeli chand
खुमान बंदीजन
Khuman Bandijan
सबै गिरिबेली दीपसेली सी नबेली चंद
sabai giribeli dipseli si nabeli chand
Khuman Bandijan
खुमान बंदीजन
और अधिकखुमान बंदीजन
सबै गिरिबेली दीपसेली सी नबेली चंद-
चेली दुतिरेली देख भ्रम सो समेटि कै।
फेर जो पठायो काम जात है नठायो,
बंध बाँधि ठीक ठायो दै उठायो चरपेटि कै॥
भनै ‘समाधान’ कूद्यौ ककुभनि मूद,
गगन गरज्ज खूद खलन खखेटि कै।
चल्यो कपि लैकै द्रोनाचल को समूल,
उनमूल भुजमूल सो लंगूर सो लपेटि कै॥
- पुस्तक : लक्ष्मणशतक (पृष्ठ 25)
- संपादक : अखौरी गंगाप्रसादसिंह ‘विशारद’
- प्रकाशन : प्रोप्राइटर लहरी बुकडिपो, काशी
- संस्करण : 1927
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