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थल ते सुजल पर जल ते सुथल पर

thal te sujal par jal te suthal par

बेनी बेंतीवाले

बेनी बेंतीवाले

थल ते सुजल पर जल ते सुथल पर

बेनी बेंतीवाले

और अधिकबेनी बेंतीवाले

    थल ते सुजल पर जल ते सुथल पर,

    उथल-पुथल जल थल उनमाथी को।

    बरस कितेक बीते जुगुति चलै एको,

    बिना दीनबंधु साँकरे में होत साथी को॥

    मन वच करम पुकारत प्रगट बेनी,

    नाथन के नाथ अनाथन सनाथी को।

    बल करि हारे हाथा हाथी सब हाथी तब,

    हाथा हाथी हरखि उवासो हरि हाथी को॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : साहित्य प्रभाकर (पृष्ठ 357)
    • संपादक : महालचंद बयेद
    • रचनाकार : वेनी बेंतीवाल
    • प्रकाशन : ओसवाल प्रेस कलकत्ता
    • संस्करण : 1937

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