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ख़त

khat

यह ख़त लिखते हुए देर हुई

बहुत पहले लिखना था इसे

तुम्हारे हाथ में जो यह ख़त भरा लिफ़ाफ़ा है

उसके अंदर बंद पड़े हैं मेरे जज़्बात

जिन्हें अलफ़ाज़ों ने सँभाल कर रखा तुम्हारे लिए

जो कभी नहीं कह पाया साथ रहते

उन बातों को ठहर कर कर लिखा है मैंने

तुम्हारे जाने के बाद ही तो

जान पाया तुम्हें

समझना तब नहीं होता

जब आप सोच रहे होते हैं

कि आप समझ रहे हैं

यह तब घटित होता है धीरे-धीरे

जब आप समझने की कोशिश छोड़ देते हैं

लिफ़ाफ़ा खोलते हुए

तुम्हारी गहरी उदासीनता को

देखता है लिफ़ाफ़ा गहरे आश्चर्य से

लिफ़ाफ़े की रूह की बेचैनी

समझ लेता है अंदर पड़ा ख़त

वह शुरू कर देता है मिटाना अलफ़ाज़ों को

ग़ायब होने लगते हैं एक एक कर सभी अलफ़ाज़

अंततः तुम्हारे हाथ आता है ख़ाली ख़त

जो कभी भीगा हुआ था जज़्बातों से

सालों-साल

बंद रहने के बाद जिल्दों में

उकता गए हैं अलफ़ाज़

इसलिए अब वे

ग़ायब होना सीख रहे हैं

स्रोत :
  • रचनाकार : राही डूमरचीर
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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