आपके साथ इनको हमेशा संदेह से देखा जाता है
हमउम्र या छोटी हो तो शंका और भी गहराती है
आपके जीवन में नाटक के उस पात्र जैसा होता है इनका रोल
जिसे ज़रूरत पड़ने पर कोई भी निभा सकता है
ये आम दोस्तों की तरह नहीं जा सकतीं आपके स्कूटर के पीछे बैठकर
इनके साथ किसी सड़क किनारे ढाबे पर
नहीं पी जा सकती एक कप चाय
पारिवारिक समारोहों में इन्हें नहीं मिलता मौक़ा मांगलिक गीत गाने का
जबकि ये यह सब करना चाहती हैं
ये आपकी पीठ पर एक धप्पा मारकर चौंकाना चाहती हैं
देर शाम फ़ोन पर अपनी कविता सुनाना चाहती हैं
किसी बहस में उलझे-उलझे सड़क पर घूमना चाहती हैं
कठिन समय में हाथ पकड़कर साथ होने का भरोसा देना चाहती हैं
पहाड़ की ऊँची चोटी पर चढ़कर ज़ोर से आपका नाम पुकारना चाहती हैं
लाॅन्ग ड्राइव पर आपके साथ किशोर लता के गाने सुनना चाहती हैं
ये आपकी हर बात को धैर्य से सुनती हैं
इनसे बात करके आप थोड़ा और जीना चाहते हैं
दुनिया पर आपका भरोसा थोड़ा और ज़्यादा बढ़ जाता है
ये आपके लिए दरवाज़े के पीछे लगे हैंगर-सी ज़रूरी होती हैं
इनकी भूमिका हमेशा परदे के पीछे की होती है
इनकी फ़ोन कॉल्स और मैसेज़स को आप तुरंत डिलीट कर देते हैं
आपके आस-पास के लोगों को ये क्यारी में उगे अनचाहे पौधे-सी खटकती हैं
इनके आने पर शुरू हुई ख़ुसफुसाहट अर्थभरी मुस्कानों पर रुकती है
आप इनको कभी नहीं देख पाते घर के कपड़ों में
बर्तन साफ़ करते या कपड़े धोते
न ही आपका सामना इनसे कभी सिलेंडर की लाइन में होता है
आप कई बार नहीं जान पाते
पिछले दिनों किस क़दर बुख़ार से तप रही थीं ये
ये भी कहाँ पूछ पाती हैं समय पर आपकी ख़ैर-ख़बर
ये ऐसा कुछ भी नहीं कर पाती हैं
ये आपकी महिला मित्र जो होती हैं।
- रचनाकार : रेखा चमोली
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.