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अपना-अपना घर

apna apna ghar

एन. सुकुमारन

एन. सुकुमारन

अपना-अपना घर

एन. सुकुमारन

एक घर में रहते हैं हम सब

एक ही घर में

रहने पर भी, अलग-अलग घरों में रहते हैं हम सब

मेरे घर की दीवार पर तुम्हारी तसवीर

तब भी

तुम्हारा नहीं है

मेरा घर

तुम्हारे घर की दीवार पर

मेरी तसवीर

तब भी

मेरा नहीं है तुम्हारा घर

मेरा घर मेरा है

तुम्हारा घर तुम्हारा

मेरे घर के दरवाज़े से

तुम घुस सकते हो

तुम्हारे घर के दरवाज़े से मैं

क्या घर में रहते हैं हम

या हैं उनमें क़ैद

नहीं आता मेरी समझ में

तुम्हारी समझ में?

स्रोत :
  • पुस्तक : शब्द सेतु (दस भारतीय कवि) (पृष्ठ 82)
  • संपादक : गिरधर राठी
  • रचनाकार : कवि के साथ एन. बालसुब्रह्मण्यन एवं विमल कुमार
  • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
  • संस्करण : 1994

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