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सूर्यास्त के आसमान

suryast ke asman

आलोकधन्वा

आलोकधन्वा

सूर्यास्त के आसमान

आलोकधन्वा

और अधिकआलोकधन्वा

    उतने सूर्यास्त के उतने आसमान

    उनके उतने रंग

    लंबी सडकों पर शाम

    धीरे बहुत धीरे छा रही शाम

    होटलों के आस-पास

    खिली हुई रौशनी

    लोगों की भीड़

    दूर तक दिखाई देते उनके चेहरे

    उनके कंधे जानी-पहचानी आवाज़ें

    कभी लिखेंगे कवि इसी देश में

    इन्हें भी घटनाओं की तरह!

    स्रोत :
    • पुस्तक : दुनिया रोज़ बनती है (पृष्ठ 75)
    • रचनाकार : आलोकधन्वा
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 2015

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