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अंतिम ऊँचाई

antim unchai

कुँवर नारायण

कुँवर नारायण

अंतिम ऊँचाई

कुँवर नारायण

और अधिककुँवर नारायण

    रोचक तथ्य

    इस कविता को The Viral Fever (TVF) की वेब-सीरीज़ Aspirants (2021) में बहुत सुंदर ढंग से प्रयोग किया गया है।

    कितना स्पष्ट होता आगे बढ़ते जाने का मतलब

    अगर दसों दिशाएँ हमारे सामने होतीं,

    हमारे चारों ओर नहीं।

    कितना आसान होता चलते चले जाना

    यदि केवल हम चलते होते

    बाक़ी सब रुका होता।

    मैंने अक्सर इस ऊलजलूल दुनिया को

    दस सिरों से सोचने और बीस हाथों से पाने की कोशिश में

    अपने लिए बेहद मुश्किल बना लिया है।

    शुरू-शुरू में सब यही चाहते हैं

    कि सब कुछ शुरू से शुरू हो,

    लेकिन अंत तक पहुँचते-पहुँचते हिम्मत हार जाते हैं।

    हमें कोई दिलचस्पी नहीं रहती

    कि वह सब कैसे समाप्त होता है

    जो इतनी धूमधाम से शुरू हुआ था

    हमारे चाहने पर।

    दुर्गम वनों और ऊँचे पर्वतों को जीतते हुए

    जब तुम अंतिम ऊँचाई को भी जीत लोगे—

    जब तुम्हें लगेगा कि कोई अंतर नहीं बचा अब

    तुममें और उन पत्थरों की कठोरता में

    जिन्हें तुमने जीता है—

    जब तुम अपने मस्तक पर बर्फ़ का पहला तूफ़ान झेलोगे

    और काँपोगे नहीं—

    तब तुम पाओगे कि कोई फ़र्क़ नहीं

    सब कुछ जीत लेने में

    और अंत तक हिम्मत हारने में।

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    शशिभूषण

    शशिभूषण

    स्रोत :
    • पुस्तक : प्रतिनिधि कविताएँ (पृष्ठ 92)
    • रचनाकार : कुँवर नारायण
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 2008

    यह पाठ नीचे दिए गये संग्रह में भी शामिल है

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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