Font by Mehr Nastaliq Web

भाव संकीर्तन

bhaav sankirtan

अनुवाद : हनुमच्छास्त्री अयाचित

वेंकटराव बालांत्रपु

वेंकटराव बालांत्रपु

भाव संकीर्तन

वेंकटराव बालांत्रपु

और अधिकवेंकटराव बालांत्रपु

    1

    हे प्रभु! प्रणव मंत्र के गीत के हृदयगम होने तक

    आकाश के तारों की जपमाला बनाकर दो!

    जब तक मेरे जीवन-गीत ठीक नहीं बैठते

    तब तक मेरे जी-सागर में मोतियों की मेरी नाव चलाओ!

    मेरी जीवन-कोकिला जब तक कूकती नहीं

    तब तक वसंतोद्यान को पल्लवित करो! मेरी आत्मा जब तक

    रागालाप नहीं करती

    तब तक मेरी जीवन-वीणा के तारों का सुर मिलाकर झंकृत

    करते रहो! प्रणय की नदियाँ शरीर रूपी पर्वतों को लाँघकर

    परिचारिकाओं की भाँति प्रणव-सागर में विलीन हो,

    जीव रूपी गायक जब तक तुम्हारे सन्निधान में पहुँचे

    और अपनी सुधि-बुधि खो बैठते

    तब तक मेरे गान का निषेध मत करो!

    हे प्रभु! मेरी बातो को निगम रूपी उद्यान के

    शुक भाषण की भाँति कानों में भरते हो

    मेरे गाए हुए गीतों को निर्मल वेद-वीथी में

    साम-गान के सदृश संकलित करते हो

    जो मेरी रचना है, उसको अपनी चित्र-सृष्टि में

    ब्रह्मसूत्रों के समान प्रस्तार करते हो

    मेरी कविताओं को समग्र भारत में

    'आत्म भारत' बनाकर अनुवाद करोगे न?

    मैं शक्तिमान होकर नहीं, आशावान् होकर पूछ रहा हूँ

    मैं आग्रह से नहीं, बल्कि हेल-मेल से बोल रहा हूँ

    मैं समर्थ होकर नहीं,

    परंतु स्नेह के साथ कहता हूँ

    पहले इस प्रकार मुझसे कहाकर अंत में उपहास करोगे?

    प्रभु! समग्र भक्ति के साथ तुम्हारे मंदिर का गोपुर बनवाकर

    भक्त गोपन ने उस पर श्री पताका फहराई

    त्यागराजु ने प्रेम भरे कीर्तनों को तारक मंत्र में निमज्जित करके

    अमृत नौका चढ़ाई

    पोतन्न ने श्री रामचंद्र जी की प्रेरणा से भक्ति-काव्य की रचना करके

    भुवन-मुरली बजवाई

    मुनिश्रेष्ठ वाल्मीकि ने कुश-लवों के द्वारा

    काव्य का ललित एवं मधुर गान कराया

    और भक्ति-वीणा को झंकृत किया

    यद्यपि मैं उनमें से कोई भी नहीं हूँ

    तथापि मैं तुम्हारी पताका के पास पहुँचा,

    नौकाश्रय पाया और वंशी बजाने लगा

    तुम्हारी शरण मिली अब तो बीन बजाऊँगा

    हे प्रभु! तुम्हीं इसका आलाप सुनो!

    कदाचित् मैं अपने को अकेला समझकर व्यथित रहा

    तब तुमने अपना साथ देकर मुझे दुकेला बनाया

    कदाचित् मैं निराश रहा कि तुम्हारे चरणों की प्राप्ति नहीं होगी

    तब चरणों की शरण देकर तुमने मेरी रक्षा की

    कदाचित् मैंने सोचा कि इसमें क्या अर्थ है?

    तब तुम श्रुतियों का प्रमाण देकर मुस्कुराए

    प्रायः मैं असमंजस में पड़ा होऊँगा कि यह उचित होगा क्या

    तब तुमने उपनिषदों के भाव मेरे हृदय में घोल दिए

    प्राय: मैंने सोचा कि यह सब मैंने लिखा

    तब तुमने मेरा वह अहंकार भुला दिया

    और मेरे हृदय में दिखाया है

    कि यह भक्तों का गाना है

    यह ज्ञानियों का मार्ग है

    और भावकुसुमों की लड़ी है।

    2

    क्या भ्रमर प्रेमी होकर स्वयं

    पुष्पों पर नहीं मँडराता?

    पुष्प को उसे आहूत करने की क्या आवश्यकता है?

    नन्हे रसाल वृक्षों के पल्लवों को देखकर

    क्या कोकिला आप-ही-आप नहीं जाती?

    रसाल उसको सीटी बजाकर कब बुलाता है?

    चंद्रिका को देखते ही क्या समुद्र मे ज्वार नहीं उभर आता?

    चंद्रमा संकेत देकर उसे कब बुलाता है?

    मयूर गगन की चंचला को देखकर अपना पंख नहीं फैलाता?

    बादल उसे आवाज़ देकर कब बुलाता है?

    भक्तिभाव से भरे मेरे कीर्तन सुनकर

    प्रेमार्द्र हो मुझे बुलाओ न!

    सस्नेह मेरे संग खेलो न!

    मैं तुमको सप्रेम बुला रहा हूँ।

    तुम्हें देखकर आकाश हँस पड़ता है,

    नहीं तो झिलमिलाते तारे क्यों दिखाई देते

    तुम्हारे दर्शन-मात्र से सागर गगन का स्पर्श करता है,

    नहीं तो उसमें उत्ताल तरंगें क्यों उठती

    तुमको देखकर उद्यान वन रोमांचित हो उठा है,

    नहीं तो मृदुल लतात क्यों उत्पन्न होते हैं?

    तुमको देखकर पृथ्वी का राज्याभिषेक होता है,

    नहीं तो सस्यश्यामला लक्ष्मी क्यों दिखाई देती?

    कदाचित् प्रकृति तुम्हारे दर्शन पर भूलभुलैयों में पड़ गई है,

    नहीं तो प्रणय-गाथाएँ क्यों कर चलती है

    विश्व सदैव तुमसे प्रार्थना करता है,

    नहीं तो प्रणव का अविरल गीत क्यों सुनाई दे रहा है?

    स्रोत :
    • पुस्तक : भारतीय कविता 1954-55 (पृष्ठ 419)
    • रचनाकार : वेंकटराव बालांत्रपु
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए