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आकाश

akash

एकांत श्रीवास्तव

 

कुम्हार ने बनाया घड़ा
उसमें भरा जल
तो जल में प्रतिबिंबित हुआ आकाश

एक दिन घड़ा टूट गया
और आकाश?
जब एक घड़ा टूट जाता है
तब क्या आकाश भी टूट जाता है?

जो हृदय में है
आत्मा में
दो साँसों के बीच
वही तो आकाश

आकाश धरती की संदूक़ का
कभी ख़त्म न होने वाला धन है

तारे बुझ जाते हैं आकाश नहीं बुझता
सूर्य डूब जाता है आकाश नहीं डूबता
घड़ा टूट जाता है आकाश नहीं टूटता

कुम्हार ने बनाया घड़ा
उसमें भरा जल
तो जल में प्रतिबिंबित हुआ आकाश।
________________________________
अष्टावक्र संहिता में अष्टावक्र द्वारा राजा जनक और दरबार में 
उपस्थित पंडितों से पूछा गया एक प्रश्न पढ़ने के बाद। 

स्रोत :
  • पुस्तक : धरती अधखिला फूल है (पृष्ठ 65)
  • रचनाकार : एकांत श्रीवास्तव
  • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
  • संस्करण : 2013

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