शमशेर का काव्य संग्रह पढ़ने के बाद
shamsher ka kawy sangrah paDhne ke baad
सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
Sarveshwar Dayal Saxena
शमशेर का काव्य संग्रह पढ़ने के बाद
shamsher ka kawy sangrah paDhne ke baad
Sarveshwar Dayal Saxena
सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
और अधिकसर्वेश्वरदयाल सक्सेना
उतर आए
कुछ सितारे
व्यथा बोझिल
पलक पर—
नहाती है चाँदनी
डबडबाई झील में।
स्वच्छ जल कहीं भीतर बहुत गहरे
दीखती हैं मछलियाँ, रंगीन पत्थर।
एक हल्का-सा करुण संगीत चारों ओर।
विकल, मौन, उदास
नीली घाटियों में
दीख जाती हैं कभी
एक-दो लाल पंखुरियाँ
झरतीं, ठोस नभ के पार से।
(कुमारी कविता
लाज ढँकने को
अंजीर का पत्ता नहीं
रोटी बाँधती है!)
- पुस्तक : प्रतिनिधि कविताएँ (पृष्ठ 51)
- रचनाकार : सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
- प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
- संस्करण : 1989
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.