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शब्दों से कभी-कभी काम नहीं चलता

shabdon se kabhi kabhi kaam nahin chalta

त्रिलोचन

त्रिलोचन

शब्दों से कभी-कभी काम नहीं चलता

त्रिलोचन

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    शब्दों से कभी-कभी काम नहीं चलता

    जीवन को देखा है

    यहाँ कुछ और

    वहाँ कुछ और

    इसी तरह यहाँ-वहाँ

    हरदम कुछ और

    काई एक ढंग सदा काम नहीं करता

    तुम को भी चाहूँ तो

    छूकर तरंग

    पकड़ रखूँ संग

    कितने दिन कहाँ-कहाँ

    रख लूँगा रंग

    अपना भी मनचाहा रूप नहीं बनता।

    स्रोत :
    • पुस्तक : प्रतिनिधि कविताएँ (पृष्ठ 19)
    • रचनाकार : त्रिलोचन
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 1985

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