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एक और सिंह-मूसिक उपाख्यान

ek aur sinh musik upakhyan

अनुवाद : शंकर लाल पुरोहित

जानकी बल्लभ पटनायक

जानकी बल्लभ पटनायक

एक और सिंह-मूसिक उपाख्यान

जानकी बल्लभ पटनायक

और अधिकजानकी बल्लभ पटनायक

    पूनम का चाँद फैला चुका

    अपना विशाल चाँदनी का जाल

    और उस जाल में सागर को

    खींचने लगा है धीरे-धीरे

    कितना विशाल और बलवान

    असहाय है कितना यह सागर!

    झलमलाते एक

    रेशमी रुपहले जाल की फाँस में पड़ा

    उसका निस्तार नहीं

    एक असहाय तिमी मछली की तरह

    मैंने देखा

    चाँदनी के जाल में

    खींच रहा यह सागर

    कोई नहीं सुनता

    उसका गर्जन या आर्तनाद

    बहुत देर बाद जब सागर

    पँहुचता है किनारे झाऊवन के पास

    उसने समझ लिया

    झाऊवन को आश्रय

    फिर आर्तनाद किया

    मैंने देखा झाऊवन का भी साहस

    अपने बेशुमार पत्तों के जाल में

    बाँधने लगा पूनम के चाँद को।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बीसवीं सदी की ओड़िया कविता-यात्रा (पृष्ठ 100)
    • संपादक : शंकरलाल पुरोहित
    • रचनाकार : जानकी बल्लभ पटनायक
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2009
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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