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थके हुए कलाकार से

thake hue kalakar se

धर्मवीर भारती

धर्मवीर भारती

थके हुए कलाकार से

धर्मवीर भारती

और अधिकधर्मवीर भारती

    सृजन की थकन भूल जा देवता!

    अभी तो पड़ी है धरा अधबनी,

    अभी तो पलक में नहीं खिल सकी

    नवल कल्पना की मधुर चाँदनी

    अभी अधखिली ज्योत्सना की कली

    नहीं ज़िंदगी की सुरभि में सनी—

    अभी तो पड़ी है धरा अधबनी,

    अधूरी धरा पर नहीं है कहीं

    अभी स्वर्ग की नींव का भी पता!

    सृजन की थकन भूल जा देवता!

    रुका तू गया रुक जगत् का सृजन

    तिमिरमय नयन में डगर भूल कर

    कहीं खो गई रोशनी की किरन

    बादलों में कहीं सो गया

    नई सृष्टि का सप्तरंगी सपन

    रुका तू गया जगत् का सृजन

    अधूरे सृजन से निराशा भला

    किस लिए; जब अधूरी स्वयं पूर्णता

    सृजन की थकन भूल जा देवता!

    प्रलय से निराशा तुझे हो गई

    सिसकती हुई साँस की जालियों में

    सबल प्राण की अर्चना खो गई

    थके बाहुओं में अधूरी प्रलय

    औ’ अधूरी सृजन योजना खो गई

    प्रलय से निराशा तुझे हो गई

    इसी ध्वंस में मूर्च्छिता हो कहीं

    पड़ी हो, नई ज़िंदगी; क्या पता?

    सृजन की थकन भूल जा देवता!

    स्रोत :
    • पुस्तक : दूसरा सप्तक (पृष्ठ 162)
    • संपादक : अज्ञेय
    • रचनाकार : धर्मवीर भारती
    • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ
    • संस्करण : 2012
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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