नमक

namak

सारुल बागला

और अधिकसारुल बागला

     

    एक

    हमारी पीढ़ियों ने किसका 
    कितना नमक खाया 
    उम्मीद की जाती है 
    कि इसका हिसाब हमारे 
    गुणसूत्रों में लिखा होना चाहिए। 

    दो

    गांधार के नमक के सफ़ेद 
    दूर तक फैले खेतों में कहते हैं कि
    बहुत सारी कहानियाँ रहती हैं 
    उन अदृश्य पेड़ों पर जो 
    वहाँ होने चाहिए थे 
    लेकिन नहीं हैं 
    जिनके नीचे धुले जाते 
    नमक से सने हुए हाथ 
    थोड़ी देर को सही 
    सीधे करने के लिए फैला लिए जाते
    नमक से भरे
    गोपाल पटेल के पाँव।

    देश के किस गाँव से उठाकर
    इस वीराने में लाकर पटके गए पाँव
    जहाँ पर या तो बस दूर-दूर तक
    मटमैले नीले खेत हैं
    या सूखे सफ़ेद नमक की चमक से भरे
    नमक के खेत
    जिन पर चलते हुए लगता है कि 
    चाँद की रौशनी पर 
    चल रहे हों देवता
    जिनकी चमक को देखते हुए लगता है कि
    चाँद का चौकोर टुकड़ा
    धरती मे धँसा पड़ा है 
    वहीं जिन पर चलते हुए 
    ये कहानी बनी
    ये कहानी हक़ीक़त बनी 
    ये हक़ीक़त डर बना 
    जिस नमक पर चलते हुए कहते हैं
    कि इतने कड़े हो जाते थे पाँव 
    कि जब नमक के खेतों में काम करने वालों को 
    जलाया जाता था तो
    जिनके सहारे चुकता होता रहा नमक 
    वे हड्डियाँ जल जाती थीं 
    लेकिन नमक के खेतों में 
    काम करने वालों के पाँव नहीं जलते थे 
    एक आदमी के साबुत पाँव 
    नमक में भरे हुए साबुत पाँव 
    और नदारद आदमी 
    गोपाल के पाँव। 

    तीन

    हमारे शरीर में कुल नमक है जो 
    किसका है 
    और किसका है— 
    शरीर में खारापन। 

    चार 

    नमक बहुत मुश्किल था 
    इसे ज़रा भी कम ज़्यादा नहीं होना था 
    होश में रहने के लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी नमक था 
    होश खोने में नमक सबसे बड़ी 
    मजबूरी पैदा करता रहता था।

    स्रोत :
    • रचनाकार : सारुल बागला
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए