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मेरी पत्नी अब मुझको प्यार नहीं करती है

meri patni ab mujhko pyaar nahin karti hai

अलेक्सांद्र याशिन

अलेक्सांद्र याशिन

मेरी पत्नी अब मुझको प्यार नहीं करती है

अलेक्सांद्र याशिन

और अधिकअलेक्सांद्र याशिन

    मेरी पत्नी

    अब मुझको प्यार नहीं करती है

    ऐसा कुछ महसूस कर रहा हूँ कुछ दिन से

    उसने प्यार नहीं जतलाया है कुछ दिन से

    लेकिन फिर भी

    मैंने किया सामना इसका

    सोचा—यह विश्वासघात है

    और वस्तुतः ऐसा ही था

    बात बहुत बिगड़ी थी

    अब भी पहले जैसी ही है

    मेरी पत्नी

    मुझको प्यार नहीं करती है

    जैसा भी है

    लेकिन क्या है

    मैं इसको सौभाग्य मान लूँ

    या अभाग्य

    मुक्ति मिली

    या नई ग़ुलामी की

    यह कोई शुरूआत है

    युद्ध-घोषणा

    याकि युद्धबंदी का दिन है

    नौ मई कहूँ

    या यह कोई बाईस जून है

    जीवित रहता चला जा रहा

    लेकिन समझ नहीं पाता हूँ

    ऐसे में दयनीय बनूँ

    या विजय मनाऊँ

    द्वेष रखूँ

    या सच्चे दिल से धन्यवाद दूँ

    ना मैं उसको

    ना अपने को

    समझ सका हूँ

    जीवन ठहर गया है

    इसका कारण है

    मेरे कमरे में

    इतना कूड़ा भरा हुआ है

    क़ब्ज़ा करने वाली फ़ौजों ने

    मानो अभी-अभी छोड़ा है

    गए साल के आख़िरी आखेट समय से

    बिना सफ़ाई के मेरी बंदूक़ पड़ी है

    एक ओर कोने में मेरी

    स्केटिंग की छड़ी खड़ी है

    याद नहीं अब जंगल करते

    याद नहीं करते मैदान

    टेबिल ऊपर लगा हुआ है

    बिना छटे पत्रों का ढेर

    चढ़ी पुस्तकों के ऊपर है

    मोटी एक परत मिट्टी की

    घास-पात भर गया खेत में

    जैसे बिना निराई

    मैंने किया नाश्ता

    किया नहीं या

    कौन जानता

    किसको परवा

    कब थी मैंने शेव बनाई

    याद नहीं यह मुझको आता

    काम नहीं कर सकता कोई

    नींद नहीं ले सकता हूँ मैं

    चैन नहीं है

    लिखना दूभर

    हे ईश्वर मेरी मदद करो

    जो कुछ बीत रहा है

    उसकी मुझे समझ दो

    क्या मैं ऊपर को उठता हूँ

    चक्कर खाता

    याकि रसातल में धँसता हूँ

    शायद यही दशा जिसको वे

    भारहीनता कहते...

    एक समय था

    निश्चय मुझ में आत्म-शक्ति थी

    बढ़ सकता था आगे

    हमला कर सकता था

    अपनी स्थिति का बचाव भी

    कर सकता था

    अब मेरी पत्नी

    मुझको प्यार नहीं करती है

    मेरे कुछ भी पास नहीं है

    विश्वासघात

    मुझको कटाक्ष से

    देख रहा प्रत्येक दिशा से

    चैन नहीं लेने देता है

    निशा-दिवा में

    निस्सहाय हूँ

    जैसे कोई नगर अरक्षित

    अब तो नहीं अहं भी मेरा

    कर पाता उन्नत सिर अपना

    नीरवता का

    सूनेपन का

    रहता चारों ओर बसेरा

    जैसा इस दुनिया के

    बनने से पहले था।

    स्रोत :
    • पुस्तक : एक सौ एक सोवियत कविताएँ (पृष्ठ 189)
    • रचनाकार : अलेक्सांद्र याशिन
    • प्रकाशन : नेशनल पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली
    • संस्करण : 1975
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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