Font by Mehr Nastaliq Web

रोशनी

roshni

रामजी तिवारी

और अधिकरामजी तिवारी

    धुँधला दिखाई देने लगा है इन दिनों,

    रोज़ साफ़ करता हूँ चश्मे को,

    धोता हूँ आँखों को साफ़ पानी से,

    इतनी गर्द कहाँ से जम जाती है पता नहीं

    हर समय लगता है

    आँखों में कुछ पड़ गया है।

    कल डॉक्टर के पास गया था

    व्यक्त की थी मैंने साफ़-साफ़ देखने की इच्छा

    रौनक़ थी उसके चेहरे पर

    “कुछ ही बचे हैं

    साफ़-साफ़ देखने की इच्छा रखने वाले

    लोग तो इतने अभ्यस्त हो चुके हैं

    धुँधला देखने के

    कि वे जानते ही नहीं

    कि चीज़ें साफ़-साफ़ भी दिखाई दे सकती है

    और इसी तरह एक दिन धुँधला देखते-देखते

    वे अपनी रोशनी खो देते हैं।”

    “कोई तो दवा होगी?”

    पूछा था मैंने

    वो मुस्कराया

    “रेत में तड़पती हुई मछलियाँ

    सिर्फ़ दवाओं के बल पर

    ज़िंदा नहीं रह सकतीं,

    अपनी आँखों में थोड़ा पानी बचाकर रखो

    पुतलियों को ज़िंदा रखने के साथ-साथ

    धूल-गर्द साफ़ करने में भी आसानी होती है।

    सिंहासन और कूड़ेदान

    क्रिकेट के खेल को

    दिया है तुमने नया आयाम,

    हर किसी की ज़ुबान पर

    है बस इसका ही नाम।

    तुम्हारे शॉट पर

    चौड़ा हो जाता है सीना हमारा,

    दुख भी उठाने लायक़

    जब लगता है शतक तुम्हारा।

    विश्व कप की जीत पर तो

    ऐसा भी होता है,

    कि चाय की दुकान पर काम करने वाला ‘रामू’

    पहली बार अपने आँसुओं के बजाय

    पानी से गिलास धोता है।

    लेकिन अब लगता है कि

    मैदान के भीतर का खेल

    इस बाहर के खेल की छाया है,

    जिसे समझने के लिए

    सिर्फ़ क्रिकेट विशेषज्ञ होना ही काफ़ी नहीं

    कि यह कैसी विचित्र माया है।

    भीतर का खेल होता है

    बैट-बाल से मैदान में,

    बाहर का खेल

    हमारी जेब से सारे जहान में।

    अब तुम्हारे हर शॉट के बाद

    हम हो जाते हैं थोड़े और बौने,

    हर शतक के बाद

    लगते हैं भेड़िए हमें घेरने।

    तुम्हारे प्यार में हम

    किसी से भी ले लेते हैं पंगा,

    और बदले में तुम कर देते हो

    हमें एकदम से नंगा।

    हमने जब भी की है

    चूमने की तुम्हें कोशिश,

    छलनी होंठों ने झेली है

    हमेशा एक नई साज़िश।

    अब तो यह प्रेम

    इतना पड़ने लगा है भारी,

    कि तुम्हारी हर जीत के बाद

    कट जाती है जेब हमारी।

    तुम कहोगे मुझे देशद्रोही

    तो झेल लूँगा अब ये मलामत,

    पर जब भी तुम लोग हारते हो

    जेब की चवन्नी लगती है बिल्कुल सलामत।

    अरे...!

    खिलाड़ी तो ‘गोपीचंद’ भी था

    जिसने अनैतिक विज्ञापन वाली अशरफ़ियों को

    मार दी थी ठोकर,

    बचाए रखा अपना ज़मीर

    आल-इंग्लैंड चैंपियन भी होकर।

    क्या तुम लोगों ने

    छू ली है इतनी बड़ी ऊँचाई?

    कि अब नीचे की चीज़ें

    देती ही नहीं दिखाईं।

    कभी सुनी है तुमने

    अपने बंधु-बांधवों की पुकार?

    उपेक्षा की अग्नि में जलते हुए

    कर रहे जो हाहाकार।

    ग़ाफ़िल मत हो

    अपने दुर्गों को देखकर,

    आग उनमें भी लग सकती है

    वे भी बन सकते हैं खँडहर।

    तुमने समय की अदालत नहीं देखी,

    जहाँ कोई नहीं बचता

    सबकी होती है एक दिन पेशी।

    जब शंबूक के वंशजों ने

    त्रेता के महानायक पर

    ठोका था मुक़दमा,

    और तमाम नामी वकीलों की

    पैरवी के बावजूद

    उन्हें गँवाना पड़ा था

    ‘मर्यादा’ का तमग़ा।

    जब एकलव्य की संतानों ने

    एक अँगूठे के लिए

    द्वापर के महागुरु को बनाया था वादी,

    और तमाम शास्त्रों के उद्धरणों के बावजूद

    अदालत ने पाया था उन्हें

    एक क़ौम के नरसंहार का अपराधी।

    फिर क्या है बिसात तुम्हारी,

    एक दिन तुम्हारे सभी शतकों और जीतों पर

    एक बाउंसर पड़ जाएगा भारी।

    जब हमारी संतानें खोद डालेंगी

    अपने कुँओं को पाताल तक

    प्यास बुझाने में,

    और उन्हें पता चलेगा

    कि तुम सब भी शामिल थे

    इन्हें सुखाने में।

    तब हम देखेंगे

    कि तुम्हारे पास

    इतिहास से ‘रिटायर्ड-हर्ट’ होने के अलावा

    क्या रास्ता बचता है?

    और तभी पता चलेगा कि

    इतिहास

    सिंहासन के बग़ल में

    कूड़ेदान क्यों रखता है?''

    स्रोत :
    • रचनाकार : रामजी तिवारी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए