Font by Mehr Nastaliq Web

पूर्णिमा की रात और वह आदमी

purnaima ki raat aur wo adami

हरिराम मीणा

हरिराम मीणा

पूर्णिमा की रात और वह आदमी

हरिराम मीणा

और अधिकहरिराम मीणा

    दिन भर सातों घोड़ों को थकाता रहा ग़ुस्साया सूरज

    और जाते-जाते छोड़ गया गर्द भरी तपती साँझ

    पूरब की कोख से जन्मना ही था भरे-पूरे चाँद को

    वह भी उगा मटमैला

    निकला हो जैसे गरम-गरम राख में से

    उफ़्, कितना सहा दिन को

    फिर यह बेचैनी उगलती पूर्णिमा की रात!

    बिजली गुल

    छतों पर राहत तलाशते असुविधा की दुविधा में फँसे लोग

    इस सबसे बेख़बर, ठर्रे के असर में

    धक्के खाता वह अधेड़

    धूप की तरह पारदर्शी जिसकी पहचान

    घर-परिवार सँभालने के लिए

    घर-परिवार छोड़कर गाँव से आया कोई मज़दूर या किसान

    लगा, जैसे पहली बार उसने दारू पी

    ख़ाली पेट में भभकता ग़ुस्सा

    बड़बड़ाहटनुमा उसी की लपटें

    बेक़ाबू लपटों को राह दिखाती फ़हस गालियाँ...

    ‘...देख लूँगा हरामियों को...’

    —कहते हुए उसके पाँव लड़खड़ाए

    वह गिरा-गिरा बचा

    बेख़बर था वह छतों पर जमा लोगों से

    बहुत कम वाक़िफ़ होगा यहाँ की सड़कों से भी

    (वैसे उसने ख़ूब देखा था अपने गाँव का आसमान और उसकी ज़मीन)

    उधर छतों पर बिजली की वजह से परेशान लोग

    देख रहे थे उसे बड़े ही कौतुक से

    मज़ाक़िया लहजों में टीका-टिप्पणी करते

    और जब वह लड़खड़ाकर गिरा होता

    तब तो ख़ूब ही हँसे थे लोग

    शायद, उस तक भी पहुँची हों अट्टहास की कुछ तरंगें

    पर, वह बेपरवाह इंसान

    बढ़ता ही गया

    उस सड़क से आगे की सड़कों की ओर

    सड़कों पर उतरने का संकल्प लेता हुआ...

    स्रोत :
    • रचनाकार : हरिराम मीणा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए