Font by Mehr Nastaliq Web

श्मशान-घाट : कुछ शब्दचित्र

shmshan ghat ha kuch shabdachitr

मनमीत सोनी

मनमीत सोनी

श्मशान-घाट : कुछ शब्दचित्र

मनमीत सोनी

और अधिकमनमीत सोनी

     

    एक

    सब तरफ़
    एक जलती हुई चुप्पी पसरी हुई थी
    फिर भी कुछ लोग हँस-हँस कर बात कर रहे थे...

    शायद वही सबसे ज़्यादा डरे हुए लग रहे थे।

    दो

    फूल
    गुलाल
    बैंड-बाजे
    राम-धुन
    और
    हँसी-ठट्ठे

    आज रंग है री माँ!

    तीन

    जलाने से पहले
    एक सौ आठ बार
    नहलाया गया
    मृतक को

    मतलब यही
    कि ज़रा-से भी
    मैले आदमी को
    नहीं दी जा सकती
    बिल्कुल साफ़-सुथरी अग्नि...

    चार

    यह छोटा-सा बच्चा
    कुछ बरसों बाद जानेगा
    पिता को दी थी मुखाग्नि!

    तब कौन-सा जल
    बुझाएगा
    अग्नि—
    स्मृति की?

    पाँच

    श्मशान घाट में
    साले सब के सब
    फ़िलासफ़र हैं

    यहाँ से निकलते ही
    साले सब के सब
    बनिए!

    छह

    रोते हुए को
    केवल सांत्वना दी जा सकती है
    साथ में रोया नहीं जा सकता...

    वैसे...

    साथ में रोया क्यों नहीं जा सकता?

    सात

    चूड़ी तो
    एक विधवा ने
    उस आँगन में फोड़ी थी...

    ख़ून

    मेरी आँखों से
    क्यों रिस रहा है?

    आठ

    बहुत बाद में समझ आता है
    कि बाज़ार में एक बेहद ज़रूरी दुकान वह भी है
    जहाँ मरे हुए आदमी के सूट-बूट अटैची और बिस्तर मिलते हैं...

    नौ

    पंडित जी
    पत्थर नहीं हुए हैं भाई!

    जन्म से लेकर मृत्यु तक के मंत्रों ने
    उनके भीतर
    एक दुर्लभ तटस्थता पैदा कर दी है!

    दस

    ऐसा लगता है

    जैसे

    हर चिता की अग्नि से
    कोई नवजात प्रकट हो रहा हो...!

    स्रोत :
    • रचनाकार : मनमीत सोनी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए