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मैं ना नास्तिक हूँ ना आस्तिक

main na nastik hoon na astik

हिमांशु जमदग्नि

हिमांशु जमदग्नि

मैं ना नास्तिक हूँ ना आस्तिक

हिमांशु जमदग्नि

और अधिकहिमांशु जमदग्नि

    मैं ना आस्तिक हूँ

    ना मैं नास्तिक हूँ

    ना मैं मनु को जानता हूँ

    ना आदम को

    ना ऐडम को

    मैं बस इतना जानता हूँ

    मैं अपने ग़म के आगे बैठा हूँ

    ख़ुशी के पीछे खड़ा हूँ

    मशाल लिए

    क्रूर हुए

    जला दूँ? (साँस छोड़ते हुए)

    मैं इंसान मारना जानता हूँ

    लड़ना जानता हूँ

    जानता हूँ?

    नहीं जानता।

    ये बातें मैं नहीं लिख रहा

    लिख रहा है कोई मेरा हाथ पकड़े

    मेरे सोने के बाद वो जाग जाता है

    दृश्य दिखाता है:—विभत्स त्रास

    जल रहें घर

    सर भूने जा रहे

    खिलाड़ी उल्टे बैठ लड़ रहे

    इंसान खाँचों में बटे

    बटन दबा रहे ऑन/ऑफ़

    भयानक है ना?

    हकीक़त है

    और भयानक है मेरी व्यक्तिगत हकीक़त

    सड़ता हुआ माँस का लोथड़ बेच देता है

    अपनी सोच

    अम्म अपनी...(नाख़ून दीवार पर खुरँचते हुए)

    घिन्न,ग्लानि और क्षोभ

    जो यह लिख रही हैं

    मुझे मारती हैं

    खुरंड चीरती हैं

    नाख़ून प्लास से फाड़ देती हैं

    कहती हैं वे—तुम कठपुतली हो

    चिल्लाता हूँ मैं—नहीं,

    मैं पुरुष, स्त्री, किन्नर, गंधर्व, असुर, प्रेत

    कुछ भी हो सकता हूँ

    पर कठपुतली नहीं|

    टेटवा दबा बंद करना

    चाहती हैं वे यह संवाद

    मैं करहाता हूँ (उनका मुँह नोचते हुए)

    आज भी हूँ मैं उतना ही आज़ाद

    जितना रहूँगा मरने के बाद

    स्रोत :
    • रचनाकार : हिमांशु जमदग्नि
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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