रस, गंध, स्वाद और आँच का कोरस है प्रेम
ras, gandh, swad aur anch ka koras hai prem
लवली गोस्वामी
Lovely Goswami
रस, गंध, स्वाद और आँच का कोरस है प्रेम
ras, gandh, swad aur anch ka koras hai prem
Lovely Goswami
लवली गोस्वामी
और अधिकलवली गोस्वामी
उम्र के तंदूर में सधे हाथों से
मेरा कच्चा प्रेम सेंकते हो तुम
भोजन की इच्छा में तुम्हारे पास बैठी
मैं तुम्हें अपलक निहारती हूँ
तुम्हारे चारों ओर लौ बिखरी होती है
तमाम रात तुम उजास बीनते हो
तुम्हारी ओट पाकर कभी कोई छाया नहीं बनती
यह प्रेम है, जो कभी मुझे अतृप्त सोने नहीं देता
यह प्रेम है कि धीमी आँच का सोंधापन मुझसे छिनता नहीं है
चाँद, एक गहरे चषक में
तुम्हारे बाज़ू पड़ा, सफ़ेद खुम्बियों का शोरबा है
रस, गंध, स्वाद और आँच का कोरस है प्रेम
यह तुमसे मिलने से पहले मैंने नहीं जाना था
कैरी और फल का भेद जानना
तुम्हारी रसोई की रहस्यमय कला है
चटकारों से लेकर तृप्तियों तक मेरा हर स्वाद
तुम्हारी ही उँगलियों में पला है।
- रचनाकार : लवली गोस्वामी
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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