रहने के प्रसंग में कहीं एक घर था
rahne ke prsang mein kahin ek ghar tha
विनोद कुमार शुक्ल
Vinod Kumar Shukla
रहने के प्रसंग में कहीं एक घर था
rahne ke prsang mein kahin ek ghar tha
Vinod Kumar Shukla
विनोद कुमार शुक्ल
और अधिकविनोद कुमार शुक्ल
रहने के प्रसंग में कहीं एक घर था
उसी तरह प्यास के प्रसंग में उसमें
एक छोटे घड़े में पानी भरा था
बहुत दिन से बचा था के कारण
घड़ा पुराना हो चुका था
पता नहीं क्या था के कारण
कुछ था जो याद नहीं आ रहा था
जो याद आ रहा था वह इतना था
कि उसके प्रसंग भी बहुत थे
आस-पास था, दूर था
बीते हुए रात-दिन का समय हो चुका था
बीतने वाले रात-दिन का समय था
सब तरफ़ जीवन था
संसार के प्रसंग में घड़ा छोटा था
कोई किसी के घर पानी पीने आ सकता है
इसलिए छोटे घड़े के बदले
बड़े घड़े होने का एक प्रसंग था।
- पुस्तक : कवि ने कहा (पृष्ठ 26)
- रचनाकार : विनोद कुमार शुक्ल
- प्रकाशन : किताबघर प्रकाशन
- संस्करण : 2012
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