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रहमान का स्वगत कथन

rahman ka swagat kathan

अनुवाद : तुषार धवल

दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे

दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे

रहमान का स्वगत कथन

दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे

और अधिकदिलीप पुरुषोत्तम चित्रे

    पैग़म्बर एक है जैसे अल्लाह भी

    रेगिस्तान में हृदय जितना ओएसिस

    हाथों तले हरियाली

    वरदहस्त और मस्तक

    अस्तित्व जहन्नुम से जन्नत तक

    एक ही नियम का इन्द्रधनुष

    आदमी मूलतः काफिर है

    बुतखाना है जिसका बोध

    मेरे अंधेपन में है

    परवरदिगार और काबा

    इतना सा विरह तुमसे सहा नहीं जाता

    और दोस्त, तुम्हारा नाम है इरशाद

    तुम्हारी प्रेमिका का नाम सलमा

    और गाँव का मोहब्बत?

    याSल्ला! परवरदिगार!

    मैं तो अंधा हूँ

    सिर्फ़ तुम्हें देखने वाला

    और इन आँख वालों की आँखें

    एक-दूसरे में ही खो गयी हैं!

    स्रोत :
    • पुस्तक : मैजिक मुहल्ला खंड दो (पृष्ठ 33)
    • रचनाकार : दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे
    • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
    • संस्करण : 2019

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