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अंत्येष्टि से पूर्व

antyeshti se poorw

जोशना बैनर्जी आडवानी

जोशना बैनर्जी आडवानी

अंत्येष्टि से पूर्व

जोशना बैनर्जी आडवानी

हे देव,

मुझे बिजलियाँ, अँधेरे और साँप

डरा देते हैं

मुझे घने जंगल की नागरिकता दो

मेरे भय को मित्रता करनी होगी जंगल से

रहना होगा साहसी!

हे देव,

मैंने एक जगह रुक वर्षों आराम किया

मुझे वायु बना दो

मैं कृषकपुत्रों की गीली बनियानों

और रोमछिद्रों में

समर्पित करूँ स्वयं को!

हे देव,

मैं अपने माता-पिता की सेवा कर सकी

मुझे सुशीतल ओस बना दो

मैं गिरूँ वृद्धाश्रम के आँगन की घास पर

वे रखें मुझ पर पाँव और

मैं उन्हें स्वस्थ रखूँ

हे देव,

मैं कभी सावन में झूली नहीं

मुझे झूले की मज़बूत गाँठ बना दो

मैं उन सभी स्त्रियों और बच्चों को सुरक्षित रखूँ

जो पटके पर खिलखिलाते हुए बैठें

और तृप्त हो उतरें!

हे देव,

कुछ लोगों ने छला है मुझे

मुझे वटवृक्ष बना दो

सैकड़ों पक्षी मेरे भरोसे भरें भोर में उड़ान और

रात भर करें मुझमें विश्राम

मैं उन्हें विश्वसनीय और सुरक्षित नींद दूँ!

हे देव,

मेरा सब्र है एक संपन्न नवजात शिशु

वह प्रतिपल देखभाल माँगता है

मुझे एक हज़ार आठ मनकों वाली

रुद्राक्ष की माला बना दो

मेरे सब्र को होना होगा अनगढ़!

हे देव,

मुझे पत्रों की प्रतीक्षा रहती है

मुझे घाटी के प्रहरियों की

प्रेमिकाओं का दूत बना दो

उन्हें भी होता होगा संदेशों का मोह

मैं दिलासा दे उन्हें व्योम कर सकूँ!

हे देव,

मैंने प्रश्नों के बीज बोए

वे कभी फूल बन खिल सकें

मुझे भूरी संदली मिट्टी बना दो

मैं तप कर और भीग कर रचूँ

अनेकों खलिहान!

हे देव,

मैं धरती और सितारों के बीच

बेहद बौनी लगती हूँ

मुझे पहाड़ बना दो

मैं बादल के फाहों पर आकृतियाँ बना

उन्हें मनचाहा आकार दूँ!

हे देव,

मैं अपनी पकड़ से फिसल कर

नहीं रच पाती कोई दंतकथा

मुझे काँटेदार रास्ता बना दो

मेरे तलवों को दरकार है अनुभव

टीस और मवाद और ठहराव के!

हे देव,

चिकने फ़र्श पर मेरे पैर फिसलते हैं

मुझे छिले हुए पंजे दो

मेरे पंजों की छाप

सबको चौराहों का संकेत दे

और बताए रास्ता!

हे देव,

मेरे आँसू घुटने पर बहने को तत्पर रहते हैं

मुझे मरुस्थल बना दो

सूखी धरा और उसकी वीरानियों को

यह हक़ है कि

मेरे आँसुओं को वे दास बना लें!

हे देव,

प्रेम मेरी नब्ज़ पकड़

मेरी तरंगें नापता है

मुझे बोधिसत्व का ज़ख़ीरा बना दो

त्याग मेरा कर्म हो

मुझे अस्वीकार का अधिकार चाहिए!

हे देव,

मेरे कुछ सपने अधूरे रह गए हैं

मुझे संभव और असंभव के बीच की दूरी बना दो

मैं पथिकों का बल बनूँ

उनकी राह की

बनूँ जीवन-कथा!

हे देव,

मैंने अब तक

पुलों पर सफ़र किया है

शहर के पुल बेहद कमज़ोर हैं

मुझे तैराक बना दो कि

मैं हर शहरी बच्चे को तैरना सिखा सकूँ!

हे देव,

मेरे बहुत से दिवस बाँझ रहे हैं

मुझे गर्भवती बना दो

मेरी कोख से जन्मे कोई इस्पात

जो ढले और गले केवल संरक्षण करने को

सभ्यताओं को जोड़े रखे!

हे देव,

मैं अपनी

कविताओं की किताब छपवा सकी

मुझे स्याही बना दो

मैं समस्त कवियों की लेखनी में जा घुलूँ

और रचूँ इतिहास!

स्रोत :
  • रचनाकार : जोशना बैनर्जी आडवानी
  • प्रकाशन : सदानीरा वेब पत्रिका

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