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प्रणाम

parnam

मैथिलीशरण गुप्त

और अधिकमैथिलीशरण गुप्त

    बहु कलकंठ खगों के आश्रय,

    पोषक या प्रतिपाल प्रणाम।

    भव-भूतल को भेद गगन में

    उठने वाले शाल, प्रणाम॥

    हरे-भरे, आँखों को शीतल

    करने वाले, तुम्हें प्रणाम,

    छाया देकर पथिकों का श्रम

    हरने वाले, तुम्हें प्रणाम।

    अटल अचल, किसी बाधा से

    डरने वाले तुम्हें प्रणाम,

    शुद्ध सुमन-सौरभ समीर में

    भरने वाले, तुम्हें प्रणाम।

    देने वाले औरों को ही

    सारे स्वफल रसाल, प्रणाम,

    भव-भूतल को भेद गगन में

    उठने वाले शाल, प्रणाम॥

    व्रत में रत, आतम, वर्षा, हिम

    सहने वाले, तुम्हें प्रणाम,

    स्वावलंब युत, उन्नत भी नत

    रहने वाले, तुम्हें प्रणाम।

    खींच रसातल से भी रस को

    गहने वाले, तुम्हें प्रणाम,

    सब कुछ करके भी कभी कुछ

    कहने वाले तुम्हें प्रणाम।

    जन्मभूमि के छत्र, पत्रमय,

    अहो समुन्नत भाल, प्रणाम,

    भव-भूतल को भेद गगन में

    उठने वाले शाल, प्रणाम॥

    विस्तृत शत भुज-शाख़ाओं से

    देने वाले वीर, प्रणाम,

    हिमकण से प्रभुदत्त वज्र तक

    लेने वाले धीर, प्रणाम।

    विविध, कालदर्शी साक्षी-सम,

    बद्ध-मूल, गंभीर, प्रणाम,

    सभी दशाओं में सदैव ही

    परहित-हेतु-शरीर, प्रणाम।

    क्रम-क्रम से सर्वस्व त्याग कर

    स्थाणुमूर्ति चिरकाल प्रणाम,

    भव-भूतल को भेद गगन में

    उठने वाले शाल, प्रणाम॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : मंगल-घट (पृष्ठ 279)
    • संपादक : मैथिलीशरण गुप्त
    • रचनाकार : मैथिलीशरण गुप्त
    • प्रकाशन : साहित्य-सदन, चिरगाँव (झाँसी)
    • संस्करण : 1994
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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