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हाक तँ देबऽ पड़त

haak tan debऽ paDat

अंशुमान सत्यकेतु

अन्य

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अंशुमान सत्यकेतु

हाक तँ देबऽ पड़त

अंशुमान सत्यकेतु

और अधिकअंशुमान सत्यकेतु

    हम सुन्न किये ठाढ़ एत्तऽ

    साइत दिशांश लागि गेल

    नहि

    हमरा तँ बाटे नहि देखाइत अछि

    एक कात संसद भवन

    दोसर कात सचिवालयक ऊँचका फाटक

    बीचमे ठाढ़ हम

    सुनि रहल छी दुनूक गर्जना

    आब तँ कान सेहो बहिरा गेल

    मुदा दुनू कातक कटाओझ बढ़िये रहल

    संसदक न्योंमे गरल ईंटा

    एखनहु लाल अछि

    मजूरक हड्डीसँ टघरल घामक संकेत दैत

    संसदक भीतर चेहराक रंग

    बदलैत रहल

    हरेक पाँच धापपर

    मुदा एक्के फकरा

    आइयो बाँचल जाइये

    संसदक भीतर कि बाहर

    गीदड़क भूकब

    आइयो छेकने जाइये कान हमर

    जागलमे कि निन्नमे

    सचिवालयक खोधली सभमे

    दबाकऽ राखल गेल अछि

    बकार हमर

    मोकि देने अछि कंठ

    टेबुलक निच्चासँ बढ़ल हाथ

    लपलपाइत लेर चुअबैत जीह

    चाटि लेबऽ चाहैत अछि

    सभटा रुधिर हमर

    हमरा घरक आगूक खत्ता

    ओहिना बुझना जाइत अछि

    जेना सचिवालयक बिहरि सभ

    खत्तामे ढाबुस बेंग सभ

    छोटका कीड़ा सभकेँ गीड़ि रहल

    सचिवालयमे सेहो हमरा सभ पेड़ा रहलहुँ

    संसदक ललका ईंटाक भीतर देखनाइ

    कि ओकरा उखाड़ि

    अपन पुरखाक जड़ब तकनाइ

    अपराध मानल जा सकैछ

    एकर विरुद्ध अछि बनल

    एकटा सक्कत कानून

    नहि... नहि...

    एकाकार भऽ चुकल अछि

    कतेको करेजक नाद एकर विरुद्ध

    उठि चुकल अछि हमर हाथक संग

    कतेको शोणितायल हाथ।

    स्रोत :
    • पुस्तक : एखन धरि (पृष्ठ 55)
    • रचनाकार : अंशुमान सत्यकेतु
    • प्रकाशन : नवारम्भ
    • संस्करण : 2018

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