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पानी की आँखों में

pani ki ankhon mein

त्रिभुवन

त्रिभुवन

पानी की आँखों में

त्रिभुवन

 

बारिश की बूँदों में ये रेत जैसा क्या है?
तड़-तड़ गिरता,
कभी चिंतित लहरों पर दौड़ता,
कभी नाज़ुक पाँखों से उड़ता
पानी की आवाज़
इतनी भीगी-भीगी और भरभराई-सी क्यों है?
पानी की देह से झरती महक से
रेत की इंद्रियाँ इतनी विचलित-सी क्यों हैं?
पानी के चेहरे पर चाँद-जलैरी1चाँद के चारों तरफ़ बनने वाला एक विशेष वृत्त। जैसा क्या है?
जीया-जूण2जीवन। में कलायण3गहरी काली घटा।-सा क्या ऊमटा हुआ है?
काल-विधूंस4विध्वंस कालखंड। की आत्मा में
आज ये उदासी जैसा क्या है?
पानी के हिए5हृदय। में ये हिलोले6हिलोरें लेता। से लेता क्या है?
पानी की आँखों में पानी जैसा क्या है?

स्रोत :
  • रचनाकार : त्रिभुवन
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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