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नि:सत्व

nihsatw

स्मिता सिन्हा

और अधिकस्मिता सिन्हा

    तो ऐसा करना

    अपनी नींद में पुकारना उसे

    और दे देना तुम

    अपनी दोनों आँखें

    और उनमें मरी नीली मछलियाँ

    और उनमें जमे गाढ़े शैवाल

    और दे देना तुम

    अपनी अस्थि, मज्जा, वसा

    और शिराओं में बहता रक्त

    और उनमें पत्थर होता हर दर्द

    और दे देना तुम

    अपनी सारी बोली और भाषाएँ

    और सारे व्याकरण

    और सारे शब्द

    अपने सीने से लगाना उसे

    और दे देना तुम

    अपनी सारी नि:सत्व-सी साँसें

    और सारी बेतरतीब-सी यादें

    और स्मृतियों में छूटे हुए सारे चेहरे

    छूटा हुआ सारा प्रेम

    छूटी हुई सारी प्रार्थनाएँ

    और छूटे हुए सारे ईश्वर

    चूमना उसके माथे को

    और छोड़ आना उसकी उँगलियों में

    उन उँगलियों को

    जिनमें बीनते रहे हैं वक़्त के छाले

    और दबे पाँव निकल आना

    अपनी नींद से

    उस एक सुबह उठना तुम

    देह और दुनिया से परे

    इस आश्वस्ति के साथ

    कि अभी ज़िंदा हो तुम

    स्रोत :
    • रचनाकार : स्मिता सिन्हा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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