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बात सीधी थी पर

baat sidhi thi par

कुँवर नारायण

कुँवर नारायण

बात सीधी थी पर

कुँवर नारायण

और अधिककुँवर नारायण

    नोट

    प्रस्तुत पाठ एनसीईआरटी की कक्षा बारहवीं के पाठ्यक्रम में शामिल है।

    बात सीधी थी पर एक बार

    भाषा के चक्कर में

    ज़रा टेढ़ी फँस गई।

    उसे पाने की कोशिश में

    भाषा को उलटा पलटा

    तोड़ा मरोड़ा

    घुमाया फिराया

    कि बात या तो बने

    या फिर भाषा से बाहर आए—

    लेकिन इसमें भाषा के साथ-साथ

    बात और भी पेचीदा होती चली गई

    सारी मुश्किल को धैर्य से समझे बिना

    मैं पेंच को खोलने के बजाए

    उसे बेतरह कसता चला जा रहा था

    क्यों कि इस करतब पर मुझे

    साफ़ सुनाई दे रही थी

    तमाशबीनों की शाबाशी और वाह वाह।

    आख़िरकार वही हुआ जिसका मुझे डर था

    ज़ोर जबरदस्ती से

    बात की चूड़ी मर गई

    और भाषा में बेकार घुमने लगी!

    हार कर मैंने उसे कील की तरह

    उसी जगह ठोंक दिया।

    ऊपर से ठीकठाक

    पर अंदर से

    तो उसमें कसाव था

    ताकत!

    बात ने, जो एक शरारती बच्चे की तरह

    मुझसे खेल रही थी,

    मुझे पसीना पोंछते देखकर पूछा—

    “क्या तुमने भाषा को

    सहूलियत से बरतना कभी नहीं सीखा?”

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    कुँवर नारायण

    कुँवर नारायण

    स्रोत :
    • पुस्तक : आरोह (भाग-2) (पृष्ठ 18)
    • रचनाकार : कुँवर नारायण
    • प्रकाशन : एन सी ई आर टी
    • संस्करण : 2022
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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