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चाँद से थोड़ी-सी गप्पें

chand se thoDi si gappen

शमशेर बहादुर सिंह

शमशेर बहादुर सिंह

चाँद से थोड़ी-सी गप्पें

शमशेर बहादुर सिंह

और अधिकशमशेर बहादुर सिंह

    नोट

    प्रस्तुत पाठ एनसीईआरटी की कक्षा छठी के पाठ्यक्रम में शामिल है।

    (दस-ग्यारह साल की एक लड़की)

    गोल हैं ख़ूब मगर

    आप तिरछे नज़र आते हैं ज़रा।

    आप पहने हुए हैं कुल आकाश

    तारों-जड़ा;

    सिर्फ़ मुँह खोले हुए हैं अपना

    गोरा-चिट्टा

    गोल-मटोल,

    अपनी पोशाक को फैलाए हुए चारों सिम्त।

    आप कुछ तिरछे नज़र आते हैं जाने कैसे

    —ख़ूब हैं गोकि!

    वाह जी, वाह!

    हमको बुद्ध ही निरा समझा है!

    हम समझते ही नहीं जैसे कि

    आपको बीमारी है :

    आप घटते हैं तो घटते ही चले जाते हैं,

    और बढ़ते हैं तो बस यानी कि

    बढ़ते ही चले जाते हैं—

    हम नहीं लेते हैं जब तक बि ल कु ल ही

    गोल न हो जाएँ,

    बिलकुल गोल।

    यह मर्ज़ आपका अच्छा ही नहीं होने में...

    आता है।

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    शमशेर बहादुर सिंह

    शमशेर बहादुर सिंह

    स्रोत :
    • पुस्तक : वसंत भाग 1 (पृष्ठ 23)
    • रचनाकार : शमशेर बहादुर सिंह
    • प्रकाशन : एनसीईआरटी
    • संस्करण : 2022
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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