कोने पर की बेकरी में आधी रात को
kone par ki bakery mein aadhi raat ko
दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे
dilip Purushottam chitre
कोने पर की बेकरी में आधी रात को
kone par ki bakery mein aadhi raat ko
dilip Purushottam chitre
दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे
और अधिकदिलीप पुरुषोत्तम चित्रे
कोने पर की बेकरी में आधी रात को
जब डबल रोटी और बटर बिस्किट बेक की जा रही है
मुझे याद आता है बचपन का वो रहमान
और मेरे साथ कैरम खेलतीं
अस्मत की चमकती आँखें
कोने पर की बेकरी में आधी रात को
जब डबल रोटी और बटर बिस्किट बेक की जा रही है
मैं कमरे में अकेला बैठा शराब पी रहा हूँ
सामने पड़े हैं कलेजी फ्राय के ठंडे टुकड़े
सारे फ्रेंड गल्फ चले गये
कोने पर की बेकरी में आधी रात को
जब डबल रोटी और बटर बिस्किट बेक की जा रही है
मेरे पड़ोसी पठान की बीवी सीधा मेरे कमरे में आती है
दरवाज़ा बंद कर मेरी तरफ़ पीठ फेर कर खड़ी हो जाती है
मैं कहता हूँ किसी और के पास जाओ भाभी
डबल रोटी के स्पंज की तरह होते ही मेरे एकांत में
फुँफकार उठती है पूरी बिल्डिंग की महक
- पुस्तक : मैजिक मुहल्ला खंड दो (पृष्ठ 21)
- रचनाकार : दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे
- प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
- संस्करण : 2019
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.