मैंने तो अपनी अलगनी सजा ली
mainne to apni algani saja li
कृष्ण मुरारी पहारिया
Krishna Murari Pahariya
मैंने तो अपनी अलगनी सजा ली
mainne to apni algani saja li
Krishna Murari Pahariya
कृष्ण मुरारी पहारिया
और अधिककृष्ण मुरारी पहारिया
मैंने तो अपनी अलगनी सजा ली
रंग बिरंगे कपड़े टाँग लिए
ज़्यादातर हैं कठिन कमाई के
थोड़े से औरों से माँग लिए
क्या करता दरवाज़ा भोंड़ा है
कैसे किसका मैं स्वागत करता
कोई अगर चला भी आता तो
फिर कैसे उसकी शंका हरता
तुम्हीं कहो भड़कीली दुनिया में
फिरता कहाँ उघारी जाँघ लिए
कम से कम इतना विश्वास बढ़ा
मैं सड़कों पर भी आ जाता हूँ
और आपकी भरी महफ़िलों में
अपने मन से गीत सुनाता हूँ
ज़रा मुखौटे वालों को देखो
घूम रहे हैं पैनी साँग लिए
- पुस्तक : यह कैसी दुर्धर्ष चेतना (पृष्ठ 67)
- रचनाकार : कृष्ण मुरारी पहारिया
- प्रकाशन : दर्पण प्रकाशन
- संस्करण : 1998
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