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गांधी

gandhi

घुँघरू परमार

कोई इतना सरल कि

एक ही रेखा में खिंच जाए

उनका चित्र

कोई इतना सहज कि

कृषकाय बालक भी

एक लाठी

ऐनक

घुटनों तक की धोती में

ओढ़ ले उनका व्यक्तित्व

एक दाढ़ी वाला बूढ़ा (रवींद्र) परिचित था

गांधी की आँधी से

एक दरवेश अशोक और शिरीष की फूल की कोमलता लिए

जानता था—

इस 'अवधूत' के भूत को

अलग-अलग चेहरों के मुखौटों में

जाति

धर्म

समुदाय का चोला ओढ़ने वालों को

अंदाज़ा था—

इस संत की लाठी की चोट

इसी देश में मजबूरी का नाम गांधी हो गया

जबकि आज भी हमारे लिए मज़बूती का नाम गांधी है

गांधी के चश्मे की ऊँची क़ीमत देने वाले

बापू वाली दृष्टि कहाँ से क्रय कर पाओगे?

सत्य और अंहिसा दोधारी तलवार है

इसकी धार को कुंद करने वालों

कब तक बचा पाओगे अपना हाथ?

गांधी को जानना

एक महात्मा की आत्मा से गुज़रना है

मानवता की चेतना को जगाना है

व्यर्थ जीवन को सार्थकता देना है

धिक्कार को अधिकार में परिवर्तित करना है

दुर्भाग्य कि गांधी के ही देश में

हरेक दूसरा आदमी

गांधी का तीसरा आदमी बना बैठा है

जो चौथा आदमी की पीठ छीलता रहता है

स्रोत :
  • रचनाकार : घुँघरू परमार
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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