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कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया

kuch ishq kiya kuch kaam kiya

पीयूष मिश्रा

पीयूष मिश्रा

कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया

पीयूष मिश्रा

और अधिकपीयूष मिश्रा

    वो काम भला क्या काम हुआ

    जिस काम का बोझा सर पे हो

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    जिस इश्क़ का चर्चा घर पे हो

    वो काम भला क्या काम हुआ

    जो मटर सरीखा हल्का हो

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    जिसमें ना दूर तहलका हो

    वो काम भला क्या काम हुआ

    जिसमें ना जान रगड़ती हो

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    जिसमें ना बात बिगड़ती हो

    वो काम भला क्या काम हुआ

    जिसमें साला दिल रो जाए

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    जो आसानी से ही जाए

    वो काम भला क्या काम हुआ

    जो मज़ा नहीं दे व्हिस्की का

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    जिसमें ना मौक़ा सिसकी का

    वो काम भला क्या काम हुआ

    जिसकी ना शक्ल ‘इबादत’ हो

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    जिसकी दरकार ‘इजाज़त’ हो

    वो काम भला क्या काम हुआ

    जो कहे ‘घूम और ठग ले बे’

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    जो कहे ‘चूम और भग ले बे’

    वो काम भला क्या काम हुआ

    कि मज़दूरी का धोखा हो

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    जो मजबूरी का मौक़ा हो

    वो काम भला क्या काम हुआ

    जिसमें ना ठसक सिकंदर की

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    जिसमें ना ठरक हो अंदर की

    वो काम भला क्या काम हुआ

    जो कड़वी घूँट सरीखा हो

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    जो सबकी सुन के होता हो

    वो काम भला क्या काम हुआ

    जो ‘वातानुकूलति’ हो बस

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    जो ‘हाँफ़ के कर दे चित’ बस

    वो काम भला क्या काम हुआ

    जिसमें ना ढेर पसीना हो

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    जो ना भीगा ना झीना हो

    वो काम भला क्या काम हुआ

    जिसमें ना लहू महकता हो

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    जो इक चुंबन में थकता हो

    वो काम भला क्या काम हुआ

    जिसमें अमरीका बाप बने

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    जो वियतनाम का शाप बने

    वो काम भला क्या काम हुआ

    जो बिन लादेन को भा जाए

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    जो चबा... ‘मुशर्रफ़’ खा जाए

    वो काम भला क्या काम हुआ

    जिसमें संसद की रंगरलियाँ

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    जो रँगे गोधरा की गलियाँ

    वो काम भला क्या काम हुआ

    जिसका सामाँ ख़ुद ‘बुश’ हो ले

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    जो एटम बम से ख़ुश हो ले

    वो काम भला क्या काम हुआ

    जो 'दुबई... फ़ोन पे' हो जाए

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    जो मुंबई के 'खो' जाए

    वो काम भला क्या काम हुआ

    जो ‘जिम’ के बिना अधूरा हो

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    जो हीरो बन के पूरा हो

    वो काम भला क्या काम हुआ

    कि सुस्त ज़िंदगी हरी लगे

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    कि 'लेडी मॅकबैथ' परी लगे

    वो काम भला क्या काम हुआ

    जिसमें चीख़ों की आशा हो

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    जो मज़हब, रंग और भाषा हो

    वो काम भला क्या काम हुआ

    जो ना अंदर की ख़्वाहिश हो

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    जो पब्लिक की फ़रमाइश हो

    वो काम भला क्या काम हुआ

    जो कम्प्यूटर पे खट्-खट् हो

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    जिसमें ना चिट्ठी ना ख़त हो

    वो काम भला क्या काम हुआ

    जिसमें सरकार हज़ूरी हो

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    जिसमें ललकार ज़रूरी हो

    वो काम भला क्या काम हुआ

    जो नहीं अकेले दम पे हो

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    जो ख़तम एक चुंबन पे हो

    वो काम भला क्या काम हुआ

    कि ‘हाथ जकड़ गई उँगली बस’

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    कि ‘हाय पकड़ ली उँगली बस’

    वो काम भला क्या काम हुआ

    कि मनों उबासी मल दी हो

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    जिसमें जल्दी ही जल्दी हो

    वो काम भला क्या काम हुआ

    जो ना साला आनंद से हो

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    जो नहीं विवेकानंद से हो

    वो काम भला क्या काम हुआ

    जो चंद्रशेखर आज़ाद ना हो

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    जो भगत सिंह की याद ना हो

    वो काम भला क्या काम हुआ

    कि पाक ज़ुबाँ फ़रमान ना हो

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    जो गांधी का अरमान ना हो

    वो काम भला क्या काम हुआ

    कि खाद में नफ़रत बो दूँ मैं

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    कि हसरत बोले रो दूँ मैं

    वो काम भला क्या काम हुआ

    कि खट्ट तसल्ली हो जाए

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    कि दिल ना टल्ली हो जाए

    वो काम भला क्या काम हुआ

    इंसान की नीयत ठंडी हो

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    कि जज़्बातों में मंदी हो

    वो काम भला क्या काम हुआ

    कि क़िस्मत यार पटक मारे

    वो इश्क़ भला कया इश्क़ हुआ

    कि दिल मारे ना चटखारे

    वो काम भला क्या काम हुआ

    कि कहीं कोई भी तर्क नहीं

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    कि कढ़ी खीर में फ़र्क़ नहीं

    वो काम भला क्या काम हुआ

    चंगेज़ ख़ान को छोड़ दें हम

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    इक और बाबरी तोड़ दें हम

    वो काम भला क्या काम हुआ

    कि आदम बोले मैं ऊँचा

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    कि हव्वा के घर में सूखा

    वो काम भला क्या काम हुआ

    कि एक्टिंग थोड़ी झूल के हो

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    जो मारलन ब्रांडो भूल के हो

    वो काम भला क्या काम हुआ

    ‘परफ़ार्मेंस’ अपने बाप का घर

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    कि मॉडल बोले मैं ‘एक्टर’

    वो काम भला क्या काम हुआ

    कि टट्टी में भी फ़ैक्स मिले

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    कि भट्ठी में भी सेक्स मिले

    वो काम भला क्या काम हुआ

    हर एक ‘बॉब डी नीरो’ हो

    वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ

    कि निपट चूतिया हीरो हो

    स्रोत :
    • पुस्तक : कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया (पृष्ठ 13)
    • रचनाकार : पीयूष मिश्रा
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 2018

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